अध्याय -1-प्रस्तावना
धारा -1-संहिता का नाम प्रवर्तन का विस्तार
2-भारत के भीतर किये गये अपराधों का दण्ड
3-भारत से परे किये गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड |
4-ऱाज्य छेत्रीय अपराधों पर संहिता का विस्तार |
5-कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना |
अध्यााय -2साधारण स्पष्टीकरण
6-संहिता में की पकिभाषाओं काअपवादों के अध्यधीन समझा जाना |
7-एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव |
8-लिंग
9-वचन
10-पुरुष,स्त्री
11-व्यक्ति
12-लोक
13-क्वीन की परिभाषा
14-सरकार का सेवक
15-ब्रिटिश इण्डिया की परिभाषा
16-गवर्नमेंट आफ इण्डिया (भारत सरकार) की परिभाषा
17-सरकार
18-भारत
19-न्यायाधीश
20-न्यायालय
21-लोक सेवक
22-जंगम सम्पत्ति
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